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बंध आज च्यारे करे ॥ नामनी सतसही पयमी बत्रीस मांहीथी निसरे ॥ पनर बंधण पणसंघातन सोल वर्णदिक नहीं ॥ गोत्र दोय अंतराय पंचय मिली एकसोवीस लही ॥णा चालती॥ हवे पेहेलेरे गणे एकसो सत्तर हुवे ॥ जिननाम कर्मरे थाहारक न संनवे ॥ सासादनरे एकसो कउत्तर गणो । नरक त्रिकरे एक वि तिचत जाति मतन्नो ॥टक ॥ मत नणो ढंगसंगण आतप संघयण बेवघ्यं ॥ मिथ्यात थावर सूदम अपज्जत्त साधारण नपुंसयं ॥ ए सोख पयमी पढम गणे बंध बीजे नहु करे ॥ मिश्र थानके प्रकृति चिहुंतरि बंध गियत्थ उचरे ॥२०॥ चालती॥ तिर्यंचत्रिकरे निझानिडा जाणिये ॥ थीणधीरे पयलापयल वखाणोये ॥ | दोहग दुसररे अनादेयानंत चोकमी ॥ क्रोध मान मायारे लोन संगणद चोकमी ॥ त्रुटक ॥ निग्रोध सादिय कुबज वामण संघयण चल वली जाणीये ॥ ऋषन्न नाराच नाराच तसु अधिकी| लिक एम वखाणीये ॥ नीचगोत्र उद्योत असुन विहायगति स्त्री वेदयं ॥ मनुष्य देवह उ सत्तावीस पयमि कणंकिठयं ॥ १॥ चालती ॥ चोथे अविरतिरे गुणथानके सतहत्तरि ॥ नर सुर
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