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रण प्रकार पंच, सण आवरणं ॥ नवविध चख्खु अचख्खु ओहि, केवल आवरणं ॥ निशा पंच प्रकार, निद्रा ते सुख जागरणं ॥ निशानिशा प्रचलावली, पयल पयल थीणद्धी ॥ वेदनी सात असात पुश्, मोहनी अठ्ठावीस विधि ॥५॥ मुख्यदसण चारित्र, मोह दसण त्रिकारे ॥ समकित | मिथ्या मिश्रमोह, हवे चारित्र धारे॥चारित्र मोहना उन्निनेय, सोल कषाय जाणीजे ॥नोकषाय नव नाम, तसु हवे विगति थुणीजे ॥ क्रोध मान माया लोनाचत, एकेके चार प्रकार ॥ अनंत
अप्रत्याख्यान प्रत्याख्यान संजलण संन्नार॥६॥ हास्य अने रति अरति नय सोग पुगंडा जाणो॥ | स्त्री पुं नपुंसक वेद, एम पंचवीस वखाणो ॥ आउकर्म चउन्नेय, निरय तिरिनरदेवसहिय ॥ नामकर्मना नेद, एक शतत्रण वली अहिय॥हवे तेहनो विवरो सुणो, ए नरकतिरि नरदेव ॥ गति चल ग विथ तिण चड, पंचेंजिना नेव ॥७॥ शरीर उदारिक विक्रिय, आहारक तैजस कर्मणलणे ॥ उपांग त्रण उदारिक विक्रिय आहारकना सुणे ॥ औदारिक औदारिक विक्रिय,-विक्रिय थाहारक आहारक ॥ तैजस तैजस कम्मण, कम्मण पणसरीरा धारक ॥ औदारिक विक्रियाहारक
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