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________________ ViaNe/As/sweets/savane.vdoastavinasmasatrasatsey ॥अथश्रीगुरुपरीक्षा स्वाध्यायः॥ चोपा बंद-गुरु गिरुआ गुणमणिनंमार ॥ सुगुरु तरे तारे संसार ॥ सुगुरु सुधो मारग कहे, | तेहथकी नवियण जण लहे॥१॥परदेशी नृप नास्तिकमति, न मानतो ते जिणवर यति ॥ देव सुधर्म | सुगति उर्गति, उथापी थापे निजमति ॥२॥ ते पण पाम्यो मोटो लान, सम्यक्दृष्टि सुर सूरि| यान ॥ नव अंतर लेशे निर्वाण, जुर्व सुहगुरुतणो प्रमाण ॥३॥ शुद्ध प्रकाशे सूधो करे, व्यव हारे ते तारे तरे ॥ पोते जे ले कर्म अनादि, कोश्क बहीखले प्रमादि ॥४॥ प्रयो आपणा है अवगुण कहे, पढे घणी खप करवा हे ॥ ते पण सुहगुरु पदवीलहे, तसु दंसणे मुज मन गह गहे ॥५॥ करे शुरु नाषे उत्सूत्र, तेय विणासे निज पर सूत्र ॥ श्ह जोवो चित्तधरो जमालि, | चारित्र सहि हार्यो जिण आली ॥६॥ चनथे नांगे केवल वेष, असंयती नीपावे रेष ॥ तेय पती नहु कहीए गृही, साधु सुगुरुनी मति तिह नही ॥७॥ गुरु परखे उत्तम श्राविका, जिन शासननी सुप्रनाविका ॥ भोजन अवसरे जोवे पंथ, नाग्य योगे आवे निग्रंथ ॥७॥ साल Saama/teatsetstansattaIANS/C/AONEVA
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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