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________________ ॥ १०७ MaVARDHSROBansanonom/wata/am/ODM | तातो कहीए वीए. ते जघन्य अनंतानंतो त्रणवार तेटली राशि गुणो करीए. तोपण उत्कृष्टो M०म० अनंतानंतो न थाय तो पड़ी केम करवू ते कडे, ते माहे ए प्रदेपा उ घालीए, ते कया ? सिद्ध जेटला डे १, निगोदना जीव सूदम बादर निगोदना सघला जीव २, वनस्पति प्रत्येक अनंत सघली एतावता सर्व वनस्पतिना जीव ३, काल अतित, अनागत, वर्तमान समस्त ४, पुद्गल सघ-|| | ला परमाणुआ ५, तथा समस्त लोक अलोकनो आकाश ६, ए बये अनंता ते मांहे घालीने वळी । त्रणवार वर्ग करीये अने जेटली राशि होय तेटली राशि सहित त्रिगुणी करीये, तेवारपडी के | वलज्ञान, केवलदर्शन एतावता एना पर्याय अनंता ले ते घालीये तो कर्मग्रंथ वादी एम कहे के | उत्कृष्टो अनंतानंतो होय. सूत्र श्री अनुयोगहार मांहे कयो ने “उकोसयं अणंताणंतयं नथ्थी" इति वचनात् ॥ तत्वं पुनः केवलिनो विदंति' ॥ एटले श्री जगन्नाथ नाखे ते प्रमाण ज्यां सूत्रमांहे अनंतानंतो कह्यो त्यां सघले मध्यमेज अनंतानंतो जाणवो “उत्कृष्टं नास्ति अनंतानंत" ॥ इति संख्याता असंख्याता अनंताना नेद श्री अनुयोगधार तथा कर्मग्रंथ ए वेहुनी वृत्ति जोश
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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