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________________ Me/ प्र० 00D/DBidoeHRES/PUD/ श्री पुद्गलपरावर्तना नेद कहिये बीये. उत्सर्पिणीकालना जेटला समय बे तेटला सर्व समय जेम तेम आगळ पाळ जन्म मरणे करी एक जीव फरसे एटले बादरथी कालपुदगलपरावर्त्त कहेवाय. १ तथा एक जीव उत्सर्पिणीकालना समय जेटला, तेटला अनुक्रमे अंतर रहित जन्ममरणे करी फरसे एटले सूक्ष्मकाल पुद्गलपरावर्त कहेवाय. २. एम काल पुद्गलपरावतैना बे नेद जाणवा. हवे नाव पुद्गलपरावर्त्तनुं स्वरुप कहिये बीये. सूक्ष्म पृथ्वी कायादिक थी जीव चवी समय समय प्रत्ये असंख्याता सूक्ष्म अग्निकायमांहि जाय, तेथकी सर्व लोकाकाश प्रदेश असंख्याता , तेथकी कायस्थिति काल असंख्यातो, तेथकी संयमाध्यवसाय स्थान असंख्याता , ते सघळां संयमाध्यवसायनां स्थान जे को एक जीव मरणे करी जेमतेम फरसे ते बादर नावपुद्गलपरावर्त्त जाणवो तथा जेटलां संजमना अध्यवसायनां स्थानक अनुक्रमे एकेक स्थानक फरसे ते सूक्ष्मथको नाव पुद्गलपरावर्त्त जाणवो ॥२॥ एणीपरे नाव पुद्गलपरावर्त्तना नेद कह्या. एवं पुद्गलपरावर्त्त कह्या. एकेके जीवे ए पुद्गलपरावर्त्त अ M/APP/RS/DM/ame/ee/aputum/a ॥ ९९॥ D/am@ameramm /Dem/s
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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