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________________ DrunderarupaRBAND950veoamairatna | चौद रज्जुप्रमाण लोकमां जेटला पुद्गल डे ते सघला औदारिक १, वैक्रिय र, तेजस ३, कार्म- || है || ४, नाषा ५, श्वासोश्वास ६, मनपणे, आगल पाबले करी सर्व पुद्गल परिणमावे ते बादर अव्य पुद्गलपरावर्त कहेवायडे. हवे सूक्ष्म अव्य पुद्गलपरावर्त केम करे ते कहिये बीये. पहेलो औदारिक शरीरे करी लोकमांडिला पुदगल परिणमावे, पली वैक्रिये, पडी तेजसे, कार्मणे नाषाये, श्वा| सोश्वासे, मने ए अनुक्रमे सात प्रकारे करी जुजुआ सर्व पुद्गल परिणमावे ते सूदम द्रव्य पुद्गल | परावर्त कहेवाय. ५ एम अव्य पुद्गलपरावर्त्तना बे नेद कह्या. हवे क्षेत्राश्री सूक्ष्म बादर बे कहिए बीए. एक जीव सर्वलोकना आकाश प्रदेश मरणे करी जेम तेम आगल पाउल फरसे | एटले बादर क्षेत्र ते पुद्गलपरावर्त्त कहेवाय १, एक जीव सर्व लोकना आकाश प्रदेश अनुक्रमे अंतर रहित प्रदेश मरणे करी फरसे, विचाले अंतर पमे तो वली धुर थकी गणवो, एम करतां जेटले काले निरंतर सर्व लोकना आकाश, प्रदेश जन्म मरणे करी अनुक्रमे फरसे तेटले काले सूदम क्षेत्र पुद्गलपरावर्त्त कहेवाय. २. एम क्षेत्र पुद्गलपरावर्त्तना बे नेद कह्या. हवे काला ram/us/asvap adeadpavaavat/DADAM p ana
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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