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________________ POE/D/Dasam जद्दवि हं दुसमेस, विसमायारा हवंति बहु साहु ॥ तदवि तहा रूवा पुण, समणा अबिद को| कोवि ॥ ४ ॥ अजवि संजमवंता, अजवि गुणरयणधारगा साहु ॥ अजवि उजमवंता, तव णियम अन्निग्गहेणिच्चं ॥ ४ए ॥ अजवि दवं खित्तं, कालं नावं जे वियारंति ॥ तस्सणुसारे अजवि, साह धम्मं जहा सत्ती ॥ ५० ॥ अजवि तवसी साहु, अऊवि कुशलाहु सुफ उवएसे ॥ अङ वि वहुस्सुया मुणी, अजवि सनाय जाणरया ॥५१॥ अजवि बहु गीयत्रा, अज्जवि विवहार सा| हगाधीरा ॥ अजवि अप्पगवेसो, दीस कोकोवि समणमुणी ॥ ५५ ॥ अजवि समदम जुत्ता, अजवि शीसे अलंकिया साहु ॥ अजवि जिणमय णितणा, अऊवि परसमय खंगा साहु ॥५३॥ जह गुरु तह सिस्सावि, जह सिस्सा तहेव साहुणी णेया ॥ दुसमे काल सहावे, सवेवि एरिसा. । हुंती ॥ ५५ ॥ जे कलिकाले सिस्ता, ते गुरुआणाहु णोपमाणंते ॥ गुरुजत्तिराग रहिया, नि खज्जा निष्कला मूढा ॥ ५५ ॥ दुव्वसणे अणुरत्ता, तत्ता आसासणेय दुव्वयण ॥ गिद्धा दुछ कुवाई, कलिकाले एरिसा सिस्सा ॥ ५६ ॥ गुरुर्णिदगोनिमाणी, उन्नमवेसा सर्षिद सहमाश् ॥ Dastavaamwalotsourasanvaad oransaANDAmarVIODo/asa
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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