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________________ 9 कलिकालस्वरूप Boooooo/advapso800D/DD/aooo थार, उसुमे एए मुणी जाण ॥ ३७ ॥ आयारे अ नहा, तव संजम कायराय विसणजुश्रा ॥ || मुस्का पमायसीला, दुसुमे एयारिसा साहु ॥३७ ॥ जे केई सुविधारा, अप्पगवेसीहु अबि सं. | सारे ॥ तदुवरि समरा जे, ते साहू अऊ विनलतरा॥ ३५॥श्वी दवं ईदई, ईद सिस्सं च पयविसेसं च ॥ इहंतोय विणस्सई, कलिकाले एरिसा साहु ॥ ४०॥ बागम पुराण सवं, अलवं | पगरणं च अण्णेवि ॥ पररंजणाय पढई, दुसमे एयारिसा साहु ॥४१॥ सुत्तं च तत्तसळ, नंमागारेय | खिव मूढप्पा ॥ वित्थारेश कुविद्या, दुसमे एयारिसा साहु ॥ ४२ ॥ सिस्कावेर कुविजा, सिस्साणं | एग उभरतरण ॥ दुग्ग नयं न कुणई, पंचमकाले श्मे साहु ॥४३॥ आणाखंण दम, न | मुण जर मुण तहवि णो सझा ॥ सवंदं विहरेश, पंचमकाले श्मे साहु ॥ ४५ ॥ दत्व गुणं पज्जायं, सयपरदवाण जाणणे मूढा ॥ जर जाणश् णोचिंतई, पंचमकाले श्मे साहु ॥ ४५ ॥ परोवएसे कुशला, अप्पाणं णेव बोहए किंचि ॥ बन्नप्पा पासंमी, दुसमे गुरु श्दसा विजला ॥ ६ ॥ | पासबाद वियारं, कुणएणिस्संस संघ मलेय॥ अप्पा सहणो लज, दुसमे गुरु हसा पनरा॥४॥H 00/RAS/D/0Baapamwansauva ॥७ ॥
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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