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________________ क.स्व. कलिकालस्वरूप trate to de a जम्हा अवित्ति रयणनि अवसुहा॥ तम्हा दोस चश्चा, गुणगहणं कुणद नोवत्ता ॥१०॥ अऊ-| वि सुगुण सुरूवा, थायरिया धम्मधारगासंति ॥ पवयणमग्गे विसा, उज्जमवंता च थायारे ॥१५॥ सुवय सुपरकजुत्ता, काणरया जेय अमय अकसाया ॥ आयरिया कलिकाले, अवि एथारिसा संति ॥ २० ॥ जे उवएशे कुशखा, पंचायारे सुउऊमं कुणई॥णाणिणाए जिनणा, काले || कोकोवि श्दसा थहि ॥२१॥ सुकुल सुजा सुधम्मा, सुविही सुबयण सुबमइ जुत्ता ॥ इहि || समवि कलिकाले, आयरिया केवि महिमस्थि ॥ ॥ किज्जर जस्स पसंसा, थोवा ते अवि पुजा आयरिया ॥ नामजुआ गुणरहिया, बहुआ ऽसुमेसु २२ मुणह ॥ १३ ॥ थोवावि गुणवंता, जिण धम्म पन्नावगा महा पुरसा ॥ वंदण नमसणिता, ते पुका अञ्चणीयाय ॥ २४ ॥ तेविदु प्रसंसणिका, जे पुजा सरल चित्त गुणगाही ॥ कुणई जहा सत्तीए, समय पमाणं सुहायरणं ॥ २५॥ उवज्झाया पुण दुसुमे, उवाहिजुत्ता विसेस गुणरहिया ॥णिय गुण विमुक्क मुस्का, जव काया एरिसा अऊ ॥ २६ ॥ पायम नासा किंचिकि, किंचिवि वागरण कव्व तक्का॥ कदमविए berovatversate bagn DaidousBERDo/BANDOODoups ७६
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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