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सुहपेही, सलोल सपरिग्गहो समबर ॥समद सलोह सविसई, गणवर एयारिसा बहुला ॥७॥ | सिस्सा वा गुरुनाया, अहवा मणमणिय अण्णगणवासी ॥ उच्चपएसु ग्वंते, गणवर एारिसे बहुले
॥ए। जोई अहव अजोई, पढ अपढ गुणीयर मुणीवा ॥ वलिय पय आएसे, उवईएवारिसा पुजा |॥ १० ॥ सुद्धायार वियारी, सुद्धाहारीय सुद्ध उबएसी । ते साहुगण बज्गे, कुणदे एवारिसा | पुजा ॥ ११ ॥ जे उवएसे कुशला, थिवरागण गुरुपरंपरा जुत्ता ॥ तेसिं कुण अणायर, कलि| काले एरिसा पुजा ॥ १२ ॥ आगम मम्मे विसा, णिबय ववहार साहगा साहु ॥ तं मुस्को |
पासमी, नणई एारिसा पुजा ॥ १३ ॥ लोए जस्स पसंसा, सावय जण कुणई जस्स विण्णत्ती॥ | तस्सा वरिवहश् देसं, गणवइ एयारिसा दुसुमे ॥ १४ ॥ जे उठ नह विगला, नंमणशीला कुमग्ग | चारीय ॥ ते दुत्ति पुश्चणिका, दुसम कालेहु पुजाणं ॥१५॥ कलह गराम मरपरा, नीअपसंगीय नीय कम्मकरा ॥ नलि गवार अहम्मी, गणवईणं ववहा ए ए॥१६॥ किं बहुणाश्श वुत्ते, जेणय | वुत्तेण हवश् गुणढवणं ॥ गुरुनिंदा अत्रमाणं, कहणे तेणवर मुहूं ॥१७॥ एगंतणहु मण्णह, है|
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