SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ marawasnamo अंदर प्रतिमा स्थापन संबंधी घणी उत्तम प्रकारे व्याख्या प्ररुपेल . अढारमा प्रकरण 'श्री श- || चुंजय रास' नी अंदर श्री तरणतारण तीर्थाधिराजनी स्तुति करेल . अंगणीशमा प्रकरण 'एश| णाशतक' नी अंदर चतुर्विध संघने कंठमणि करी राखवारुप गोचरी संबंधी दोषोनु सविस्तर | वर्णन करेल बे, वीसमा प्रकरणमां खंधक मुनि चरित्र सतकनी अंदर घणोज उत्तम बोध | दर्शावेल . एकवीशमा प्रकरण 'उपदेश रहस्य' तथा क्रियागुल जिनस्तुति' नी अंदर | परमात्म स्तुति सुधार्नु करण वहन कर रहेल ले. बावोशमा प्रकरण 'प्रश्नोत्तरपत्र' नी अंदर श्री पर्वनो प्रकाश प्रकाशित करेल बे. तेवीशमा प्रकरण 'चातुर्मासी निर्णय' नी अंदर बागम अने शब्दशास्त्रथी चातुर्मासीनो निर्णय करवामां श्रावेल ले. अने चोवीशमा प्रकरण 'सामायक || बत्रीश दोष स्वाध्याय' नी अंदर सामायकमां लागता बत्रीश दोषनो विचार, गुरुपरीक्षा, अने| दृष्टिराग खाध्याय वगेरेनुं वर्णन . amavavanaSUTRADEnactreasavaDarutish o napdeas/40000 ॥५॥
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy