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था प्राचीन पूर्वाचार्य निर्मित्तग्रन्थोर्नु अवलोकन करवाथी वाचकवर्गने प्रमोद साथ || || प्रतीति मखशे के आपणा ऊपर पूर्वाचार्योनो केटलो बधो ( अगाध ) उपकार ? !! अने एनो वदलो कोइ पण वाली शकीए तेम नथ); तथापि एमना गुंथेला पुष्पगुच्छरुप था ग्रन्थगुच्छन। सुवासनाना नोगी ब्रमर जो के तत्वरुप मकरंद ग्रहण कर। पोतानी आत्मोन्नति करवा प्रवर्त थइ ए तो श्रापणे कंशक सहस्रांसे पण बदलो वालवावाला गणाश्ये अने ते पूज्यपादना अमर || आत्माने पुण्यना नागी करी शकिये. अस्तु !
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- ए शिवायना अन्यमहान् पुरुषोनां करेलां पण प्रकरणो था पुस्तकमां होवाथी तेऊनी, ||| अने जंगमयुगप्रवर श्राचार्य नगवान् श्री नातचंप्रसूरीश्वरजीनी कृपाप्रसादीनो आस्वाद अनुः | नवी आनंदमान यश् धर्मध्यानमां तत्पर रहिये तो सर्वना श्रमनी सफलता हाजर रहेज !