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________________ पाखी पा. 500DDDDOOODAMUDRDoasoooo विचालानो ठे तेह ॥ १३ ॥ चउदस अने अमावस वेव, बीजे पखी पूनम मे लेत्र ॥ बिहुँ दिवस जे पोसह हो, पाखी चनत्य किसी परे जोश ॥ १४ ॥ कयो उ चोमासा नणी, बिहुँ दिवसनी संख्या गणी॥ एक चौदस बीजो पूनमे, बे उपवास हुए अनुक्रमे ॥ १५ ॥ पंचम अंगे शतक पनरमें, जाण्यो चोमासो पूनमे ॥ पनवे दिन श्रीवीरविहार, साधु सहुनो एह आचार ॥१६॥ | निशि पमिकमणो दिन न कराय, दिन पमिकमणो निशि न थाय ॥ पाखी चौमासी दिन केम, चौमासी पाखी दिन एम ॥ १७॥ पाखी चौमासी जूजुवा, ज्ञक पमिकमणे बे किम थया ॥ | देसी पाखी नहु मूकिये, त्रिहुं पाखीथी किम चूकीये ॥ १०॥ चौमासी पामकमणा तिन्नि, देसी | पाखी मलिया दुन्नि ॥ त्रीजो चोमासो जोश्य, जुगते करी जुगतो होश्ये ॥ १५ ॥ अहमि | चौदसि ने उद्दि, पूनम आगम ए दिन दिउ॥पोसह श्रावकने अधिकार, चरित यथास्थित एह | विचार ॥ २० ॥ विधिवादे ए नहु उपदेश, जिनविधि ऊणो अधिक न लेश॥पाखो संखे पोसह | कीध, पुरुखलोसाहमीभोजन दीध ॥१॥ कुमर सुबाहु पोसह बहु, विपाक श्रुत ए जाणे सहु ॥ Baesappeaseaser/
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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