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हे गौतम ! त्रणे थकी पण उपजे, क्यां सुधी? जाव बारमा अच्युतदेवलोक सुधी, सम्यक्दृष्टि जीव तथा सम्यकदृष्टि साधु तथा सम्यक्दृष्टि श्रावक देशविरति बारमा देवलोकमां उपजे. आनो पाठ पनवणामूत्रना छठा पदमध्ये छे. माटे समकितिमां अने देसविरतिमां शो तफावत छे. आ बावतमा विचार करी मननो हठ मुकी उत्तर आपवो जोइये.
पेच्चा कही परनव एकंत, श्ह नव परनव पण एकंत ॥ पुत्विं पचा शब्दे जाण, श्ह नव | | परनव बेवि वखाण ॥ ६॥
सूत्रमा पेचा शब्द छे तेनो अर्थ एकांते परभव थाय छे अने आगममा पुब्धिपच्छा शब्द जे छ तेना अर्थ पण आभव परभव एकांते थाय छे. सूत्रमा कोइ स्थले पेक्षा शब्द अथवा तेना बदले परभव शब्द कहेल छे अने कोइ स्थले पुचिपच्छा शब्द अथवा तेना बदले आभव परभव शब्द कहेल छे, पेचा अने पच्छा ए बे शब्दनो अर्थ एकज छे. परभव अर्थ पच्छा ! शब्दनो थाय छे तेज पेच्चा शब्दनो पण थाय छे, तेथी शब्द पर्याय रचनाये भ्रममा पडवू नही, कारण के सूत्रोना कोइ स्थलमा (पेचाहियाए) एवो पाठ छे अने कोइ आलावामां (इहभवे परभवे वा आणुगामियत्ताए) एवो पाठ पण छे पण अर्थ एकज थाय छे एमां फेरफार समजवो नहीं.
- Coope/oD/DDOGGDe/apoor
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