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करकण्डचरित्रम् ।
द्वियं। परुन्ना मणागं । संठविया य पवत्तिणीए-महाणभावे ! मा कुणसु चित्तखेयं, अलंघणीओ विहिपरिणामो। जओ"विहडावइ घडियं पि हु, विहडियमवि किंचि संघडावेइ । अइनिउणो एस विही, जंतूण सुहासुहकरणे ॥१॥" किञ्च"खणदिवनहविहवे, खणपरियटुंतविविहसुहदुक्खे। खणसंजोगविओगे, संसारे नत्थि किं पि सुहं ॥ १ ॥ जेणं चिय संसारो, बहुविहदुक्खाण एस भंडारो । तेणं चिय इह धीरा, अपवग्गपहं पवजंति ॥ २॥" एवमाइ अणुसासिया || संवेगमुवगया ताण चेव मूले पबइया। पुच्छिया वि दिक्खाए अदाणभएण गब्भो न अक्खाओ । पच्छा नाए| मयहरियाए सब्भावो कहिओ। पच्छन्नं धरिया । पसूया समाणी सहनाममुद्दाए कंबलरयणेण य सुसाणे छड्डेइ ।। पच्छा सुसाणपालगेण गहिओ, भजाए अप्पिओ। 'अवकन्निओ' त्ति नाम कयं । सा य अजा तीए पाणीए समं मित्तिं |
करेइ त्ति ।सा अज्जा ताहिं संजईहिं पुच्छिया-कहिं गब्भो । भणइ-मयगो जाओ तो मे उज्झिओ। सो तत्थ संवडइ।। Sताहे दारगरूवेहिं समं रमइ । सो ताणि डिंभरूवाणि भणइ-अहं तुभं राया ममं करं देह । सो लुक्खकच्छूए गहिओ।
ताणि भणइ-ममं कंडुयह । ताहे से 'करकंडु' त्ति नामं कयं । सो य ताए संजईए अणुरत्तो । सा य से मोयए देइ ।। जं वा भिक्खं लटुं लहेइ । संवडिओ सो सुसाणं रक्खइ । तत्थ दो संजया तं मसाणं केणइ कारणेण अइगया जाव एगत्थ वंसकुडंगे दंडं पेच्छंति । तत्थ एगो दंडलक्खणं जाणइ, जहा-“एगपवं पसंसंति, दुपवा कलहकारिया। तिपवा लाभसंपन्ना, चउपत्वा मारणंतिया ॥१॥ पंचपक्वा उ जा लट्ठी, पंथे कलहनिवारिणी । छपवा य आयंको, सत्तपत्वा अरोगिया ॥ २॥ चउरंगुलपइट्ठाणा, अढंगुलसमूसिया। सत्तपचा य जा लट्ठी, मत्तगयनिवारिणी ॥ ३ ॥ अट्ठपवा असंपत्ती, नवपवा जसकारिया । दसपवा उ जा लट्ठी, तहियं सवसंपया ॥ ४ ॥ वंका कीडक्खइया, चित्तलया पोलडा य दड्ढा य । लट्ठी य उब्भसुक्का, वजेयवा पयत्तेणं ॥ ५॥ घणवद्धमाणपवा, निद्धा वन्नेण एगवन्ना य । एमाइलक्खण