________________
आमलकीक्रीडा.
CCCCCCCCCX
नियग-सयण-संबंधि-परिजणं नायए खत्तिए य आमंतेइ, आमंतित्ता तओ पच्छा व्हाया कयबलिकम्मा कयकाउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावसाई & मंगल्लाई पवराई वत्थाई परिहिया अप्पमहग्घा-भ| रणालंकिय-सरीरा भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सु| हासण-वरगया-तेणं मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं नायएहिं खत्तिएहिं सद्धिं तं विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभुजेमाणा परिभाएमाणा एवं वा विहरंति ॥ सू. १०४॥ जिमिअ-भुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुई