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कल्प पारसा
२८॥
महावीर| समुदएणं, महया वरतुडिय-जमग-समग-पवाइएणं, संख-पणव-पडह-भेरि-झल्लरि-खरमुहि चरित
-हुडुक्क-मुरज-मुइंग-दुंदुहि-निग्घोस-नाइयरवेणं, उस्सुक्कं, उक्कर, उक्किटुं, अदिज्जं, अमिज्ज | | अभड-प्पवेसं, अंदंड-कोदंडिम, अधरिमं, गणिआवर-नाडइज्ज-कलिअं, अणेग-तालायराणु-13 चरिअं, अणुडुअ-मुइंगं, (ग्रन्थाग्रं ५००) अमिलाय-मल्लदामं, पमुइय-पक्कीलिय-सपुर-जण | जाणवयं दसदिवसं ठिइवडियं करेइ ॥सू. १०२॥ तए णं सिद्धत्थे राया दसाहियाए ठिइव| डियाए वट्टमाणीए, सइए अ साहस्सिए अ सयसाहस्सिए य, जाए य, दाए अ, भाए अ, दल| माणे अ, दवावेमाणे अ, सइए अ, साहस्सिए अ, सयसाहस्सिए अ, लंभे पडिच्छमाणे अ | पडिच्छावेमाणे अ एवं विहरइ ॥ सू. १०३॥ तए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेंति, तइए दिवसे चंदसूर-दंसणिअं करेंति, छडे दिवसे धम्मजागरियं करेंति, इक्कारसमे दिवसे विइक्कंते, निव्वत्तिए असुइ-जम्मकम्म-करणे, संपत्ते बार-12॥ २८ ॥ साहे दिवसे, विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडाविंति, उवक्खडावित्ता मित्त-नाइ