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________________ विशेषाव कोखाचार्य निर्गमे श्रीऋषभदेववक्तव्यता वृचौ // 44 // // 444 // GHARASHIOS पढमो य कुमारत्ते चरिमो भागो य वुड्डभावंमि / ते पयणुपेनदोसा सव्वे देवेसु उववण्णा // 1577 // दो चेव सुवण्णेसुं उदहिकुमारेसु होंति दो चेव / दो दीवकुमारेसु एगो नागेसु उववण्णो // 1578 // हत्थी छच्चित्थीओ नागकुमारेसु होति उववण्णा / एगा सिद्धिं पत्ता मरुदेवा नाभिणो पत्ती॥१५७९॥ हक्कारे मकारे धिक्कारे चेव दंडणीतीउ / वोच्छं तासि विसेसं, अहलम आणुपुवीए // 1580 // पढमबितियाण पढमा ततियचउत्थाण अभिणवा बितिया। पंचम छहस्सय सत्तमस्स ततिया अभिनवाउ॥ सेसा उ दंडणीती माणवगणिहीउ होई भरहस्स / उसभस्स गिहावासे असक्कओ आसि आहारो॥१५८२॥ परिभासणा उ पढमा मंडलिबंधमि होइ बितिया ।चारगछविछे (याई भरहस्स चउविहानी)ई // 1583 // (नाभी विणीयभूमी मरुदेवी उत्तराय साढाय) उत्तरा उसभो। राया यवइरनाभो विमाणसव्वट्ठसिद्धाउ॥१५८४॥ घणसत्यवाहघोसणजइगमणं अडविवासठाणं च / बहुवोलीणे वासे चिन्ता घयदाणमासि तया // 1585 // उत्तरकुरु सोहम्मे महाविदेहे महब्बलो राया। ईसाणे ललियंगो महाविदेहे वइरजंघो॥१५८६॥ उत्तरकुरु सोहम्मे विदेह तेइच्छियस्स तत्थ सुओ।रायसुयसेहिमच्चा सत्था (हसुया वयंसा से)॥१५८७॥ बेजसुयस्स य गेहे किमिकुट्ठोवदुयं जइ दटुं। ति य ते वेजसुयं करेहि एयस्स तेगिच्छं // 1588 // तेल्लं तेगिच्छिसुओ कंबलगं चंदणंच वाणियगो। दाउं (अभिणिक्खंतो तेणेव भवेण अंतगडो)॥१५८९॥ (साहुं तिगिच्छिऊणं सामण्णं देवलोगगमणंच) पुंडरगिणीए उ जुया तओसुया वइरसेणस्स // 1590 //
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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