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________________ CRORSRON विशेषाव नेच्छइयनयमएण व अन्नाणी चेव सोमणेतोऽवि। नाणफलाभावाओ कुम्मो बनिबुडइ भवोहे // 1156 // 18 जानक्रियकोव्याचार्य / सुबहुपिसुयमहीयं किं काही चरणविप्पहूणस्स।अंधस्स जह पलित्ता दीवसयसहस्सकोडीवि? नि.९८॥ योः सापे वृत्ती संतपि तमण्णाणं नाणफलाभावओ सुबहुयंपि / सकिरियापरिहीणं अंघस्स पईवकोडिब्व // 1158 // साधतासिद्धिः // 347 // अंघोऽणवबोहोचियबोहफलं पुण सुयं किमण्णाणं? बोहोवितओविफलोतस्स जमंधस्स वववोहो।११५९। 1111 // 6 // 347 // 2 अप्पपि सुयमहीयं पगासयं होइ चरणजुत्तस्स / एक्कोऽवि जह पईवो सचक्खुअस्सा पयासेइ / नि. 99 / किरियाफलसंभवओ अप्पंपि सुयं पगासयं होइ / एकोऽवि हुचक्खुमओ किरियाफलदोजह पईवो॥११६१॥13 नहि नाणं विफलं चिय किलेसफलयंपि चरणरहियस्स। निष्फलपरिवहणाओचंदणभारो स्वरस्सेव // 1162 // जहा खरो चंदणभारवाहीभारस्सभागी नहुचंदणस्साएवं खुनाणी चरणेणहीणो नाणस्स भागी नहु सुग्गईए हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणओकिया। पासंतो पंगुलोदडो, धावमाणो यअंधओ॥११६४॥ नि. 101 / / हयमिह नाणं किरियाहीणंति जओ हयंतिजं विफलं / लोयणविन्नाणंपिव पंगुस्स महानगरदाहे // 1165 // काहिइ नाणचार्य किरियाए चेव मोक्खमिच्छतो। मा सीसो तो भन्नइ हया य अन्नाणओ किरिया // 1166 / / अइसकडपुरदाहम्मि अंघपरिधावणाइकिरियव्व / तेणंऽनोन्नावेक्वा साहणमिह नाणकिरियाओ॥११६७॥ पत्तेयमभावाओ नेव्वाणं समुदियासुविन जुत्तं / नाणकिरियासु वोतुं सिकतासमुदायतेल्लं व // 1168 // *****OK************ **** *****
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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