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________________ 肃杀宋米米米米法添举課本法冰諾%杀亲肃示。 ____४० उपधानमा पेठा पछी प्रथमना प्रण दिवस सुधीमा नर्बु बस्न के उपकरण घरेथी लावी शकाय छ, त्यारपछी लइ शकाय नहि. ४१ माला पहरबाना पागला दिवसे उत्तम रेशम विगेरेनी करावेली माळा महोत्सवपूर्वक वरघोडो चढावी गुरु पासे लइ जइ त्यां तेनी प्रतिष्ठा करावी पोताने घेर अथवा संघ ठरावेला स्थाने लइ जइ बाजोठ पर पधरावी त्या माळा पहेर नारे रात्रिजागरण कर. परमात्मानी स्तुति स्तवनादिवडे रात्रि व्यतीत करवी. पछी प्रभाते ते माला लइने गुरुमहाराज पासे माला पहेरवा जq. ४२ उपधान वहन करनारामोए उपधान तपनी यादगीरी माटे सचित्तादिनो त्याग, ब्रह्मचर्यादिकनो नियम, पर्वतिथए पौषध, चौद नियमनी धारणा, सामायिक, प्रतिक्रमण करवा, पूजा, तीर्थयात्रा आदि धर्मकार्यमा उद्यम राखवो. ४३ पञ्चक्खाय पारती वखते, भोजन कर्या पछी चैत्यवंदन करती वखते तथा सवार सांजनी क्रिया वखते स्थापना. चार्य खुला राखवा जोइए. मी सिवाय पीजी केटलीक अपवादीक हकीकत छे ते प्रवाह तरीके गहाइ जवाना भरथी भत्रे लखवामां भावेल नथी. उपधान कविरावनाराए गुरुगमता लइ तेनो यथा उपयोग विधिनी प्रतो विगेरे जोइने करवो. 杀杀弟出米索不然深米米米米米米米
SR No.600317
Book TitleJain Vrat Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhisuri
PublisherJain Sangh Madras
Publication Year1938
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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