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________________ श्री जैन व्रत विधि ॥४४॥ %米米米米米米米米米米米%杀%% आलोयण विधि. पहेले उपधाने तथा बीजे उपधाने (अढारीया) (सरखी होवाची साथे लखी). पोसह प्रक, स्वाध्याय छ हजार, उपवास चार, जीवविराधनाए-पोसह चार, स्वाध्याय पाठ हजार, अधिक तप. बीजे उपधाने (पांत्रीशं). पोसह छ, स्वाध्याय चार हजार, उपवास छ. जीवविराधनाए-पोसह सात, स्वाध्याय चौद हजार, अधिक तप.. चोथे उपचाने (चोकीयु). पोसह एक, स्वाध्याय बे हजार, उपवास एक. जीवविराधनाए-पोसह बे, स्वाध्याय चार हजार, अधिक तप. पांचमे उपधाने (अट्ठावीसु ). पोसह पांच, स्वाध्याय दश हजार, उपवास पांच. जीवविराधनाए-पोसह छ, स्वाध्याय बार हजार, अधिक तप. छट्टे उपधाने (छकीयुं). पोसह एक, स्वाध्याय चे हजार, उपवास एक. जीवविराधनाए-पोसह बे, स्वाध्याय चार हजार, अधिक तप. पोसह वा महोरतं उपवासथी करवा. 学生来米米米米米米法米法米法米法米 ॥gg.
SR No.600317
Book TitleJain Vrat Vidhi Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhisuri
PublisherJain Sangh Madras
Publication Year1938
Total Pages96
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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