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________________ काअनुवादक-बाल ब्रह्मचारी मुनी श्रीअमोलख ऋषिजी 25 असंजमओ, 26 असञ्चसंधत्तणं, 27 विवक्खो, 28 अहीयं, 29 उवहि असुई 30 अवलोवोति // तस्स एयाणि एवमादीणि णाम धेजाणि होति तीसं // 2 // सवजस्त अलियरस वइजोगस्सी तंचपुण वदंति केइ अलियं. पावा-असंजया, // अविश्या, कवड, कुडिल, कडुय, चपलचडूयभावा, कुडा, लुढा, भयाय, हस्सवियाय, सक्खी, चोरा, चार, भडा, खंडरक्खा जितजुतीकराय, गहित,गहण,कक्क, कुरग कारिकाकुलिंगा,उवहिया, वाणियगाय, कूडतुला, कूडमाणा कूडकहावणोवजीवी, पडकारगा, कलाद, कारुइजा 19 बलय जैसे वक्र, 20 वन जैसे गहन 21 मर्म वचन अस्पष्ट बचन बोलनेवाला, 22 नूम-गुप्त 23 नियति-ग्रहाचारपना 24 अप्रतोत कारक 25 सम्यक् आचार रहित 26 असत्य प्रतिज्ञा करनेवाला 27 वि. पक्षी-शत्रु 28 माया का आगर 29 माया में अशुद्ध 30 वस्तु स्वभाव का ढकना // 2 // सावध अलिक वचन बोलनेवाले अनेक हैं. मो कहते हैं असंयति, अविरति, कुटिल, कडवा, क्रोधी, लोभी, भयवाले.. हास्यवाले, सखिया, चौर, चारन, भाट, खण्डरक्षक, गूत क्रीडा खेलनेवाले, आभरणादिक का ग्राहक, कला पार से भारी, कुलिंगी, गुन विना वेषशी. उपधिवंत, मायावंत, खोटे तोले खोटे पाप रखनेवाले / और खोटी मुद्रा बना कर उपजीविका करनेवाले वणिक, वस्त्र बनानेमले, कलाद-सोनार, छीपा रंगारा, *कादक-राजाबहादुर लाका सुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी*
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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