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________________ मुद्धाहणंति कुद्धालुहामुद्धाहणति अत्थाहणंति, धम्माहणंति, कामाहणति अत्थाधम्मां कामा हणंति, // 12 // कयरे जे ते सोयरिया मच्छयधा, साउणिया, बाहा कूर, कम्मा वाउरिया दीविय बंधप्पउग, तपगलं जाल चीरलगाय, सडब्न, वग्गुरा, कूडीछेलिहत्था, हरियसाउणियाय, वीदंसगा, पासहत्था,वणचरगा, लुद्धगाय, महुघाय, पोतघाय, एणियारा, पएणिया। सर, दह, दीहिय, तडाग, पल्लग, परिगालण, मलण हास्य, से करता है, वैरमें करता है, रतिसे करता है, अथवा हास्य, वैर और गति तीनों मे धात करता है. क्रोध से घात करता है, लोभ से घान करता है, मोह-अज्ञान से घात करता है. क्रध, लोभ अथवा अज्ञान तीनों स घात करता है, अर्थ धनोपार्जन केलिये घात करता है. धनिमित्त घात करता है कामविषय निमित्त घात करता है, अर्थ धर्म और काम तीनों के लिये घात करता है, // 13 // य. शिष्य प्रश्न करता है कि प्राणियों की घात कौन 2 करता है ? उत्तर-मूअर से शिकार खेलनेवाले, पक्षियों को कज्य करनेवाले पारधि, मत्स्यादिक का वध करनेवाले धीवादि, कूकम, मांसादिक का आहार करनेवाले, पित्ते 4 आदि जीवों को प्रयोग से बंधन में डालनेवाले और त्रापा आदि पानी में डालकर जाल डालनेवाले जीवों 3की बात करते हैं. हिमा करने के लिये सींचाने आदि सीकारी पक्षियों का पालन करते हैं. लोह मय बंधन के उपकरण धारन करत हैं. कूट-पास रचकर पशु पक्षियों को भ्रपमें डालो, चाडालादि नीच जाति के नव्याकरण सूत्र-प्रथम आश्र द्वार 43 ++ ++हिसा नायक प्रथम अध्यय +13
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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