________________ ब-द्वितीय-संबरदार संट्रियाई, गथिम वेढिम परिम संघाइमाणि, मल्लाइ बहुविहाणिय अहियं नयणमण सुहकराइ वणसंडे पन्वएय गामागर नगराणिय खुडिय पुक्खरणी वावि दिहिय गुंजालिय सरस रपंति सागर विलपंतिय, खाइय णदि सर तलाग वाप्पिणि, पुल्लुप्पल पओम परिमंडियाभिराभे, अणेग सउणगण मिहुणविचरिए वरमंडब विविहं भवण तोरण चेइय देव. कुल सभा पवा वसह सुकय,सयणासण सीय रह सगड जाण जुग्गय संदण नरना रिगणेय सोम पडिरूव दारीसणिजे, अलंकिय विभूसिए पुवकए तव प्पभाव सोहग्ग पुष्पादिक के गेंद, पाषाणादक जोडे हुए पूरे हुए बलादिक के मंडल, आकार और मन को सुखदायी वनखंड, पर्वत, ग्राम, आगर, नगा, छोटी व बडी, पुष्करनी, दीर्घ वावडी, गुंजांलिका, सर, सरोबर, सरोवर की पंक्तियों, समुप्त, धातु की खादानों, ख इ, नदी तलाव, क्यारे, विकसित कमल, अनेक प्रकार के पक्षियों के युगल समुह, अनेक पकार के भवन, तोरन, प्रतिमा, देवालय, सभा, पाव इत्यादि। अच्छे पर्यक, आसन, पालखी, रथ, गाडी, शिलिया, युग, संदमन , पुरुष स्त्री के समुह से मुशोभित देखने वाले के मन को हरन करने वाले, वस्त्र भूषणादि से अलंकृत पूर्व कृत तप के प्रभाव से 17 सौभाग्य युक्त, नृत्य, नाटक, रस्ती पर नाचना, मल्ल युद्ध, मुष्टि युद्ध, इसने वाले, कया कहने वाले, रास रमने गले, बांस पर खेलने वाले, चित्र बताने व ले; तार. की वीणा; तुम्बी वीगा, ताल बजवे यो / HINR निष्परिग्रा नापक पचम अध्ययन दशमाङ्ग-प्रश्नव्याकरण -