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________________ 14 खेदित करना नहीं. 30 मत्र मंगति का त्याग करना, 31 आलोचना निन्दा आदि प्रायच्छित्त करना और३२ज्ञानादि तीनों रत्नों की आराधना युक्त समाधि परग मरना॥३३तेत्तीस आशातना-१गुरु के आगे चले, २गुरु के पीछे लगकर चले. 3 गुरु के बराबर चले, 4 गुरु के आगे खडा रहे, 5 गुरु के पाछे लगकर खडा रहे. गुरु के बराबर खडारहे. गुरु के आगे बैठे, दगुरु के पीछे लगकर बैठे,९गुरु के घराबर बैठे ? गुरु शिष्यको एक 7 पात्रसे शुचि करने का होवे उम में शिष्य पहिले शुचि कर लेवे 11 प्रथम ईर्यावही प्रतिक्रमे १२गुरु के दर्शनार्थ आने | वाले के साथ गुरु से पहिले बातमीत करने लग जावे,१३गुरु पूछे कि कौन सोते हैं और कौन जगते हैं ? ऐसा सुनकर जागता हुवा भी उत्तर देवे नहीं, 14 अशनादि लाये हुवे होवे उसे पहिले दूसरे साधुपास आलोवे फीर गुरु पास आलोवे, 15 अशनादि लाये होवे तो पहिले अन्य साधु को बताकर फीरी गरु को बतावे, 16 अशन दि चारो आहार लाकर पहिले दूसरे साधु को आमंत्रण करे पी गुरु को आमंत्रण करे, 17 अशनादि चारों आहार लाकर गुरु को विना पूछे अन्य किसी को देवे, 18 शिष्य गुरु दोनों एक मंडल में भोजन करने बैठे होवे तब अशनादि चारो आहार में से मन्ज्ञ व स्निग्ध आहार शिष्य भोगवे 20 शिष्य को गुरु बोलावे तब आसन पर बैठा 2 उत्तर देवे, 21 गुरु बोलाने पर क्या कहते हो ऐसा कहे, 22 गुरु शिष्य को किसी प्रकार का आदेश करे तब शिष्य कहे तुम ही कगे ! ऐसा कह 23. गुरु शिष्य को उपदेश देवे कि ज्ञानी, रोगी, तपस्वी बृद्ध 17वगैरह की वैयावृत्य करना, तब उत्तर देवे कि तुम ही करो ! ऐसा कहे, 23 गुरु उपदेश देते चित्तकी -प्रश्नव्याकरण सूत्र द्वितीय-संवरद्वार +le+ BP निष्परिग्रह नामक पंचम अध्ययन
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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