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________________ अनुवादक-बाल ब्रह्मचारी मुनी श्री अमोख ऋषिजी + मिश, महिस, वियग्घ, छगल, दीविय, साण, तरत्थ, अच्छभल, सहल, सीह, चिल्लल, चउप्पयाविहाणाकए एवमादी // अयकर गोणसावराहि, माउलीका उंदर, दम्भ पुप्फाओ सालिय, महोरगोरग विहाणा कएय एव मादी // छोरल सरंग, सेहंसेल्लग, गोधूउदर, णउल, सरड, जाहड, मुंगुस, खाडहिला, चाउप्पइय, घरोलिय, सिरीसिव गणेय, एवमादी // कादं, वगबग, बलाका, सारस आचाडिसेतिय, कुलल, वंजुल, पारिप्पव, कीवसउण, दीविय, हंस, धत्तर?, चास, कुली कोस, कुंच, दग, तुंड, ढणियालग, सुईमुह, कविल, पिंगलक्खग, कारंड, खुर विशेष जीव, लोमडो, गोकर्ण, मृग, महिष, व्याघ्र, बकरा, दीपिका, कुत्तरा, तरछ, रीछ, शार्दुल सिंह, चिलल वगैरह चतष्पद जालना. अब उरपर के नाम कहते हैं। अहिसर्प, गोणसर्प, दृष्टि विषवाला सर्प, मकुलीक-फण विना का सर्प, काकोंदर, दीं पुष्पक, असालिया, महोरग इत्यादि अनेक प्रकार के उरपर, जानना. अब भुजपर के नाम कहते हैं-छोरल(गोलेरी) सरंग, गोड, च्हा, नकुल, सरड, जहाग, ताली, वातोत्पादक, विसंभरा, श्रीशिव वगैरह भुजपरिसर्प जानना. अब खचर के नाम कहते हैं- हंस, बगला, बतक, सारस, जलकूकडी, चील, पंजुल' पारील्ला, कोव, शकु,पोपी शब्द करनेवाला, श्वेत हंस, धनुराष्ट, मासक, क्रौंच, चदग, ठेणिया, भूचिमुख, पकाधक-सजाबहादुरळालामुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी अर्थ |
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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