________________ 41 दामाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-प्रथम आश्रवद्वार: चक्कवाय, उक्कोस, गरुल, पिंगल, सुय बरिहिण, मवणसाल, नंदीमुह, नंदीमाणग, कोरिंग, भिंगारग, कोणालग, जीवजीवक, तित्तिर, वग, लावग, कपिंजलक, कवोत, काग, पारेवय, चिडग, डिंक, कुक्कड, मेसर, मयूर, चउरग, हय पोंडरिय करक, चीरल्ल, सेण वायस विहंग भेणासिचास वगुल, चम्भट्ठि, लविततपंखी, खहचर विहाणा कएय एवमादी // जल थल खग चारिणोय पंचिंदिए पसूगणेय, विय तिय चउरिदिएप, विविह जीव पिय जीविए मरणदुक्ख पडिकूले, वराएहणंति बहुसंकिलिट्ठ कम्मा इमेहिं विविहेर्हि, कारणेहिं किं ते-चम्म, वसा, मंस, मेय, कपिल,पिंगलक, कारेड चक्रवाक, करूर, गरुड,पिंगल,शुक, मैना, मालुंकी, नंदीमुख, नंदीमानक,कारंक, भिगोरी, कालणा, जीव, जीवक, तीतर, बतक, लवा, कपिजल, जलध, कपोत, काग, पारापत, चकवा, ढेंक, मर्गे, मेसर. मपूर, चकोर, चामचिडी, और वितत पक्षी. यह खेचर जानना. यों जलचर, स्थलचर, उरपर, भजपर, खेचर,14 ऐसे ही द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरेन्द्रिय जीवों कि जिनको अपना जिवित प्रिय है उनको इन क्रूर कारना से हणते हैं. अब हिंसा करने के कारण बताते हैं. चमडी, चरबी, मांस, रुधिर, फेफसा, कपाल का भेजा, हृदय मांस, आंतरडे, पित्त दोष विशेष, शरीर के अवयव, दांत, हड्डी, हड्डी की भीजी, नाक, आँख है। 44MP हिसा-नामकथम अध्ययन