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________________ - . - + दशपाङ्ग-प्रश्नव्याकरण सूत्र-द्वितीय संवरद्वार अंताहारेहिं, पंताहारेहि, अरसाहारेहि, विरसाहारेहिं, लूहाहारेहि, तुच्छाहारेहिं, अंतजीविहि, पंतजीविहि, लूह जीविहि, तुच्छ जीविहिं, उवसंतजीविहिं, पसंतजीवीहिं, विवितजीविहि, अक्खीरमहुसप्पिएहि, अमज्जमंसासिएहि, ट्ठाणाइएहिं, पडिमट्ठाइएहि, ठाणुक्कडूएहिं, वीरासणिएहिं, पोसाजिएहि, दंडायइएाहें, लगडसाइएहिं, एगपासाएहिं, आयावएहिं, करनेवाले, सदैव विगय रहित आहार करनेवाले, जो आहार अलग नीकाल कर रखा हो उस में से E} आहार करनवाले, सरस आहार ग्रहण करनेवाले, अंत आहार भोगनेवाले, प्रांत आहार भोगनेवाले, रस गल्ति आहार भागवाले, विनष्ट रस का आहार भोगवनेवाले, रूक्ष आहार करनेवाले, तुच्छ आहार करने वाल, अंत आहार से जीवितव्य चलानेवाले, प्रांत आहार से जीवितव्य चलानेवाले, रूक्ष आहार से जवितव्य चलानेवाले, तुच्छ आहार से जीवितव्य चलानेवाले, उपशांत कषायपने जीवितव्य चलानेवाले, विवक्त-सर्व प्रकार की आशा रहित जीवितव्य चलानेवाले, क्षीर मधु और घृत ये तीनों रूप वचन परिणमानेवाले, मद्य मांस का आचग्न कदापि नहीं करनेवाले, एक स्थान स्थिर बैठनेवाले, साधु की बारह प्रतिमा के धारक, उत्कट आसन से बैठनेवाले, विरासन से बैठनेवाले, दंडासन से बैठनेवाले, लगडामन से बैठनेवाले, धूप में ताप की आतापना लेनेवाले, शीत में वस्त्र रहित शरीर से रहनेवाले, मुख के यूंकादिर अहिंसा नामक प्रथम अध्ययन 4
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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