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________________ दुवादक-गनमचारी मुनी श्री अमोलक अषिजी - चउदस, सोलस, अदमास मास, दोमास तीमांस, चउमास, पंचमास एवं जाव छम्मासभत्तिपहिं, उक्खीत चरएहि, निक्खित चरएहिं, अंतचरएहिं, पंतचरएहिं, लूहचरएहिं, तुच्छचरएहिं समुदाणचरएहिं, अण्णगिलाएइहिं मोणचरएहिं, संसटुकप्पिएहि, तज्जायसंसट्रकप्पिएहि, उबणिएहि, सुद्धेसणिएहि, संखादतिएहि, . दिट्टलाभिएहि, अदिट्रलामएहिं, पुटुलाभिएहिं, आयंविलिएहि, पुरिमड्डिए हिं, एक्कासणिएहिं, निव्वइएहि, भिन्नपिंडवाइएहिं, परिमियपिंडवाइएहिं,. तपश्चर्या करनेवाले. हंडी में से नीकालते हुवे देवो तो ग्रहण करूंगा ऐसा अभिग्रह धारन करनेवाले, हंडीमें , डालते देवे तो बुंगावैमा अभिग्रह ग्रहण करनेवाले, अंत-उडदादिका आहार ग्रहण करनेवाले, प्रांत-निमार आ-: हार ग्रहण करनेवाले, रूक्ष आहार ग्रहण करनेवाले, तुच्छ आहार ग्रहण करनेवाले, बहुत घरों में से थोडा 2 ग्रहण करनेवाले, अज्ञात कुल के घरों में से आहार ग्रहण करनेवाले, विना बोले आहार ग्रहण करनेवाले,, भरे हाथों से आहार ग्रहण करनेवाले, जिस द्रव्य से हाथ भरे होवे वही द्रव्य लेनेवाले, स्वस्थान के पास के घों में से आहार लेनेवाले, शुद्ध निर्दोष एषणिक आहार ग्रहण करनेवाले, कुडछी अथवा रोटी की संख्या के प्रमाण से आहार ग्रहण करनेवाले, देखाई देती वस्तु ग्रहण करनेवाले, विना देखी वस्तु र ग्रहण करनेवाले, सदैव पुरिमंडल-दो प्रहर दिन आये बाद आहार करनेवाले, सदैव एक वक्त आहार | *प्रकाशक-राजाबहादुर काळा मुखदव सहायजी ज्वालाप्रसादजी*
SR No.600304
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahadur Lala Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Jouhari
Publication Year
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size25 MB
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