________________ - दवापाड प्रश्नगकरण सुष-द्वितीय-संवरद्वार 10 53 चोक्खा,५४ पवित्ती,५५ सुती,५६ पृया 57 विमल 58 पभासाय,५९निम्मल, 60 त्तरति // एवमाइणि नियगुणेनिम्मियाई पजव नामाणिहुंती, अहिंसाए भगवइए // 3 // एसा भगवइ अहिंसा-जासा 1 भीयाणं पिवसरणं, 2 पक्खीणं पीवगयणं, 3 तिसियाणं पिवसलिलं, 4 खुहियाणं पिवअसणं, 5 समुहमाझेव पोतवाहणं, 6 घउपयाणंच आसमपयं, 7 दुइट्रियाणंच ओसहिबलं, 8 अडवीमञ्झेव सस्थगमणं, एतोविसिट्ठ तरिका अहिंसा // 4 // जासा पुढविं जल अगणि मारुय वणप्फइ, बीय, विश्वास, 51 अभय दाता, 52 अमर 53 निर्मली, 54 पवित्रता 55 श्रुति, 56 पूना भाव पूजा + 50 मिला.५८ प्रभाविका, 59 निर्मला और६० तरती-संसार समुद्र तारने वाली इत्यादि गुण निष्पन्न 60 नाम अहिंसा के कहे हैं॥३॥ जैसे 1 भयभीत प्राणीको शरणका आधार है,२ पक्षि को आकाश का आधार है, *१३पिवासे को पानी का आधार है,४ क्षुधातुरको भोजन का आधार है, 5 समुद्र में जहाज का आधार है, १६चतुष्पाद को स्वस्थान का आधार है, ७दुःस्वी-व्याधि ग्रस्त को औषधि का आधार है. और८ अटवी में. पारम्रमण करने वाले को सार्थवाह का आधार है. वैसे ही सब भव्य जीवों को अहिंसा का आधार है॥ 4 // जो पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति, बीज, हरिकाय, जलचर, स्थलचर, खेचर, इत्यादि + जैसे उपर भाव यज्ञ लिया है वैसे ही यहां भात्र पूजा जानना. द्रव्य यज्ञ और द्रव्य पूजा निरर्थक हैं. अहिंसा नायक प्रथम अध्ययन +