________________ प्रयोबक-बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक पिाजी + प्रश्रव्याकरण सूत्र की-विषयानुक्रमणिका प्रथम आश्रवहार . .. . द्वितीय संवरद्वार 1 हिंसा नामक प्रथम अध्ययन 1 1 हिंसा नामक प्रथम अध्ययन 131 12 मषा नामक द्वितीय अध्ययन 2. सत्यवचन नामक द्वीतीय अध्ययन 3 अदत्त नामक तृतीय अध्ययन 3 दत्तवत नामक ततीय अध्ययन 4 अब्रह्मचर्य नामक चतुर्थ अध्ययन 7 | 4 ब्रह्मचर्य नामक चतुर्थ अध्ययन परिग्रह नामक पंचम अध्ययन 117 / 5 निष्परिग्रह नामक पंचम अध्ययन परम पुज्य श्री कहानजी ऋषि महाराज के सम्प्रदाय के बालब्रह्मचारी मुनि श्री अशेलकऋषिजी ने सीर्फ तीन वर्ष में 32 ही शास्त्रों का हिंदी भाषानुवाद किया, उन 32. ही शास्त्रों की 10001000 प्रतों को सीर्फ पांच ही वर्ष में छपवाकर दक्षिण हैद्राबाद निवासी राजा वहादुरलाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ने सब को अमूल्य लाभ दिया हैं ! प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी-ज्वालाप्रसादजी *