________________
ज०वि०
॥ ५ ॥ॐ ॥ ढाल २४ वी ॥ जिल्ला की देशी में ॥ तब तहां खेचर विजय ने । विसर्या जाणी हो ॥ पुण्य फल सुखदाय ॥ तब तहां खेचर विजय ने विसर्या | N/ जाणी हो ॥ राजिन्द ॥ श्राया चेतवा नमी विजय मधु वाणी हो ॥ पुण्य फल०॥ * अाया चेतवा नमी वीनवे मधु वाणी हो ॥ राजिन्द ॥ १॥ यहां प्राय सुखमें
लुब्धि हमने भूल्या दीशो स्वामी हो ॥ पुण्य० ॥ यहा० ॥ रा०॥ इम सुण विज| यजी चित्त में शरम अति पामी हो ॥ पुण्य० ॥ इम० ॥२॥ तस साथही जावा
शीघ्र ही सज्ज सो थाइ हो ॥ पुण्य० ॥ तस०॥रा०॥ पत्नी स्वसुर ने योग्य
बचन से समझाइ हो ॥ पुण्य० ॥ पत्नी०॥रा०॥३॥ बैठ विमाने असमाने - पन्थ से चाल्या हो ॥ पुण्य० ॥ बैठ० ॥रा०॥ गीरी बेताड रूपा का पहाड
निहाल्या हो ॥ पुण्य० ॥ गिरी० ॥ रा० ॥ दक्षिण श्रेणिये पचास नगर लेणी N| शोभे हो ॥ पुण्य० ॥ द०॥ रा० ॥ जगती वागीचा युगल खेचर देखी लोभे हो | ॥ पुण्य० ॥ ज०॥ रा०॥ ५ ॥ जयतीपुरे जयन्त राज सभा अाया हो ॥ पुण्य०