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२ घर
हूं आय ॥ सु ॥ २६ ॥ इम पुक्त वंदोवस्त कीनो मदन ॥ शुभ मुहूर्त चाल्य छोड सदैन || सु ॥ २७ ॥ हलका भारको लियो द्रव्य घणो लार । जिम सहू सुख रहे विदेश मंझार ॥ सु ॥ २८ ॥ ढाल त्रयोदश अमोलख ऋषि कहे । पुण्य पसाय जीव सब सुख लहे ॥ सुणो ॥ २९ ॥ ॥ द्वितीय खन्ड सारांस हरीगीत छंद ॥ दूजे खंड श्रीपुर | पतिनी । करामाते कन्या हरी ॥ पुर पयठाणे जवैरी होइ । मुक्ताफल परीक्षा करी ॥ पयठाणपुर राजाकी कन्या सोधवा वीडो गिरी ॥ चालिया आगे जवैरी । अमोल एती | थइ चरी ॥२॥ परम पूज्य श्री कहानजी ऋषिजी । महाराज के सम्प्रदाय के बालब्रह्मा|चारी मुनी श्री अमोल ऋषि जी रचित पुण्य प्रकाश मदनकुँवर चरित्रस्य द्वितीय | खन्डम समाप्तम् ॥