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________________ म. श्रे. खण्ड २ मात तात थायरा करे घणोसोग ॥ सु ॥ १२ ॥ एकवार तिणथी तूं मिल जरूर जाय । थोडीक सातातस जीवने थाय ॥ सु ॥ १३ ॥ में कह्यो पूछस्यूं हूं मालकणीने जाय । *ते हुकम देवसी तो मिलस्यूं हूं आय ॥ सु ॥ १४ ॥ तिहां थकी दौडी आयो तुमारे पास । आपनी जे इच्छा ते कीजे प्रकाश ॥ सु ॥ १५॥ कहो तो हूं जाइ मिलूं कुटंब ने तांय । थोडो काल तिहां रही मिलू पाछो आय ॥ सु ॥ १६॥ इम सुण कुँवरीने नेणे आयो नीर । एक तूंही सेंदो मुज छोड जावे तीर ॥ सु ॥ १७ ॥ महारी उम्मर किम व पूरी होसी एम । कर्म चण्डालनी मैं किहां पाउं खेम ॥ सु ॥ १८॥ मूर्ख निश्वास न्हांखी से अश्रू नेणे लाय । सोगन खा कहे पाछो आस्यूं इण ठाय ॥ सु ॥ १९ ॥ कुवरी कहे मिल पाछो आवजो सही । महारी बात किणने केवणी नहीं ॥ सु ॥ २० ॥ नहीं करूं|5 म बात कोइ आस्यूं पाछो सही ॥ बचन देइने चाल्या मदनजी तहीं ॥ सु ॥ २१ ॥ नीचे आइ सहू दास दासीने बुलाय । विश्वासी कहे एक धारो महारी वाय ॥ सु ॥ २२ ॥ थोडा दिन काज हूं तो जावू प्रदेश । बंदोवस्त पाछलो राखजो विशेष ॥ म ॥ २३ ॥ बाहिर कोह तरह जाणे नहीं पाय । घर मांहे अन्य नहीं आवे चलाय ॥ सु ॥ २४ ॥ महारी कोह बात जणा जो कदी मत । हुकम में रहजो दुःख न धर चित सु ॥ २५ ॥छे महिनाकी पहली दी नौकरी चुकाय । नीती सर रखा देस्यूं इनाम ३८ १ बचन
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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