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१ हाथी
सिकलीगर मुख ऊतर्यो ॥ हेके !! हर्षा तब नृपाल केच ॥ ४ ॥ ले रूपानी थाली में ॥ हेकेसा० ॥ जोया पड उघाढ ॥ बालू तृतिया पडमें || हेकेसा० ॥ निकली देखी काहाड ॥ के च ॥ ५ ॥ आश्चर्य पाया सहजणा || हेकेसा० ॥ नृप कहे शाबास ॥ साचा जवैरी ए सही || हेकेसा० ॥ सभाजन करे प्रकाश ॥ केच ॥ ६ ॥ राजेश्वर कहे मदनने ॥ हे केसा || आश्चर्य मोटो एह ॥ रेती किम मोती विषे ॥ हे केसा० ॥ दाखो कारण | तेह | केच ॥ ७ ॥ नरमाइ मदन भणे ॥ हे केसा० ॥ अवधारो महाराज ॥ मुक्ताफल भी उत्पती । हेकेसा ॥ होवे पांच जगाज |! केच ॥ ८ ॥ चक्रव्रती राजा तणी ॥ हेकेसा ॥ पत्नी श्रीदेवी होय ॥ पुत्र न होवे तेहने ॥ हे केसा || मोती प्रसवे सोय ॥ केच ॥ ९ ॥ जातीवंत वंशनी ॥ हेकेसा ॥ गांठ में मोती धाय ॥ तीजा उत्तम नागनीं ॥ हे केसा ॥ फण में मोती पाय || लेच ॥ १० ॥ मयंगल उत्तम मस्तके || हेकेसा० || मोतीनो भंडार ॥ ए चउस्थान किंचित मिले ॥ हेकेसा० ॥ इण हीज जगत मझार ॥ च ॥ ११ ॥ पंचमी जग प्रसिद्ध छे । हेकेसा० ॥ सीप तभी पैदास ॥ तिणमें पण जाती घणी || हे केसा० ॥ करी ग्रन्थ प्रकाश ॥ केच ॥ १२ ॥ हिवे इण में रेती तणो ॥ हेकेसा० ॥ कारण देउ बताय || स्वाति नक्षत्र वसती ॥ हेकेसा० || सीप जलवर आय ॥ केच ॥ १३ ॥ तिण अवसर कोइ पक्षियो || हेकेसा० ॥ सागर बर उडजाय ॥ घने बूठे तिण ऊपरे ॥
२ बर्षाद बरषे