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म. श्रे.
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मेंदी ॥ १९ ॥ सहनी रजाले कहे मदनजी । मुज जे सुज्याइ ॥ एक ए मोती छे जी अमोलक ||
खण्ड । दूजा निकमाइ ॥ दी ॥२०॥ सुणी रायजी आश्चर्य पाया । ढाल सात मांड ॥ ए तो | मनुष्य दीसे करमातती । अमोल ऋषि गाइ ॥ दी ॥ २१ ॥ दोहा ।। सुणी वाणी इम मदनकी । सत शाह भया उदास । ईर्षा लाइ इम कहे । आपो जमावे खास ॥ १ ॥ बात कियां थी स्यूं हुवे । दो प्रत्यक्ष बताय ॥ ए अमूल्य ए कोडीनो। कीमत किण गुण ,
पाय ॥ २ ॥ मदन कहे साची कही। एमावित्रनी रीत ॥ बालकने सुधारवा । धारे में १ ऊपर
नारेली प्रीत ॥ ३ ॥ आज्ञा लेइ आपकी । मैं प्रकाशी बात ॥ तैसेही कर दाखवू । सहर कठीण अंदर
समक्ष साक्षात् ॥ ४ ॥ निक्कमो मोती बींदता। फूटसी ए तत्काल ॥ तजा पडमां नरम छ । जोवो सह कृपाल ॥५॥ ढाल ८ मी ॥ मथुरा आवी साधवी । हेक सजनी ॥ यह ॥
इम सुण वाणी मदननी ॥ हेके साजन ॥ सहूजन आश्चर्य पाय ॥ बात करे ज्ञानी जिसी। हेके राजन ॥ जोयां परतीत आय ॥ के चतुरां सांभलो ॥ हेके साजन ॥ मदन बुद्धि | प्रत्यक्ष ॥ ७ ॥ १॥ अतीचतुर सिकलीगिरा ॥ हेकेसा॥राजा लिया बुळाय ॥ कहे छेदि इण मोतीने ॥ हेकेसा। जिम फूटवा नहीं पाय ॥ के॥ चतु ॥ २॥ तो इनाम
देस्यूं घणो ॥ हेकेसा० ॥ कारीगर हर्षाय ॥ विविध मशाला लगायने ॥ हेकेसा० ॥ 5सार ऊपर चडाय ॥ ॥ केच ॥ ३ ॥ चतुराइ कीनी घणी ॥ हे० ॥ पण खंड्यो तत्काल ॥
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