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खण्ड
राघव आविया हो ॥ यहदेशी ॥ देख राणी घाबरी कहे ॥ छेघाहने कुशल ॥ इम किम , IN भूडी थइ तूं ॥ कारण कांह कल ॥१॥ सुगणा सांभलो हो । होणहार श्वरूप ॥ आं॥18
में शीघ्र कहे तें कांइ दीठो । पाछी आई केम ॥ कालजो मुज थर २ छे । छे बाइ ने क्षेम ॥ १ कहे सुगणा ॥२॥ तोतलाती बोले दासी ॥ मा मुजथी न कहाय ॥ आप निजरे जोवो चाली
में बाइ कियो अन्याय ॥ सुगणा ॥ ३ ॥ धस्को पडियो धाय बचने । शीघ्र जाइ जोय ॥ कुँवरी |
को कुचेन देखी । हिये प्रज्वलित होय ॥ सु॥४॥ कहे वेगी ला राजाजी । देखावो एहाल ॥ | पापणी पडदामें रेइ । किया कर्म चंडाल ॥ सु॥ ५॥ दासी दौडी गई भूपपे । राणी
साब बुलाय ॥ बाइजी का मेहल माही । शीघ्र चलो महाराय ॥ सु॥६॥राजा सुण | * आश्चर्य पाइ । शीघ्रता तिहां आय ॥ राणी कुँवरीने बताये । देखो कियो अन्याय ॥ सु॥
७॥राज सूक्ष्म द्रष्टे जोह ! व्यभचारीना चेन ॥ प्रजल्यो तब क्रोधानल थी । रक्त थझ्या #नयन ॥सु ॥ ८॥ अंग रक्षक धायथी कहे । बोल सच एवार । किण साथे इण कर्म फोड्या । | नहीं तो खासी मार ॥ सु ॥९॥ धाय कहे मैं रजा लेइ गह मित्राणी गेह ॥ प्रात आइ | | कह्यो मातने । अनर्थ दीठो एह ॥ सु ॥१०॥ महारा देखत बाई स्वपने । न जाणे या बात ॥ एका एक किम बणियो । अचंभो मुज आत ॥ सु ॥ ११॥ गुन्हेगार हूं नहीं मालक । पूछो बाइ थी आप ॥ झूठ सांच की खबर पडसी । जणासी सहू साफ ॥ सु