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________________ १ आकाश केस || जोडी जिम निरवाह जो ॥ बाले || जन्म भर एकतार हो ॥ केस || अब ॥ अश्वासन | देह संचर्या ॥ श्री ॥ व्योम मार्ग मदनेश हो ॥ विवे || प्रेमातुर कन्या भई ॥ श्रोता ॥ नेणा नीर वरसेश हो ॥ विवेकी ॥ अथ ॥ १७ ॥ सहेली हाँसी करे ॥ श्रोता । सिद्ध हुआ | सहू काम हो || विवेकी० ॥ हिवे हूं जावूं भुज घरे || श्रोता || दोपहेरे आवस्यूं आम हो ॥ | | अ || १८ || सहेली गया पछे ॥ श्री ॥ उजागराने जोग हो ॥ विवे० ॥ आलस आयो अंग में || श्रोता ।। लोटी सेजमें छोग हो ॥ विवे | अब ॥ १९ ॥ निद्रा आह घेरो दियो ॥ श्री ॥ करती उठण विचार हो । विवे ॥ परवस हुई ते तत्क्षणे ॥ श्री ॥ होवे जे होणहार हो । विवेकी || अब ॥ २० ॥ गम नहीं क्षिण अंतर तणी ॥ श्रोत ॥ ज्ञानी बचन प्रमाणहो || विवे || ढाल तेरे अमोलख कही ॥ श्री ॥ ते सुणो आगे बयान हो ॥ विवेकी || अब ॥ २१ ॥ * ॥ दोहा ॥ जगत विषय प्रकाशतो ॥ ऊगो तब दिनराय ॥ राणी चिंते मन विषे । रंभा जागी नाय ॥१॥ धाय मात भेजी तिहां । ला बाइने जगाय ॥ सिरावणी वेला हुई || ते किम आई नाय ॥ २ ॥ धात्री आई जोहयो । गइ मनमें धस्काय ॥ हाय २ यो रातमां ॥ कुण कीधो अन्याय ॥ ३ ॥ एकरात रही वेगली । तेमां थयो अकाज ॥ राय राणीने दाखवूं ॥ जिम रहे म्हारी लाज ॥ ४ ॥ थर २ अंग धूजावती ॥ आई राणीने पास || नेण नीर बर्षावती ॥ ऊभी न्हांख निश्वास ॥ ५ ॥ ढाल १४ मी ॥
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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