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________________ खण्ड में हिवे ताण नहीं कीजिये ॥ बाले ॥ ली मुज परीक्षा पूर हो ॥ केस ॥ बातामें वक्त घणा गया ॥ पाले ॥ हिवणा ऊगसी सूर हो । केस । अब ॥ ८ ॥ वरस्यों तो जीवस्यूं सही , ॥ बाले ॥ सौ बातां की एक बात हो । केस ॥ इत्तापर छिटकाव सो ॥ बाले ॥ तो प्राण आपरे साथ हो । केस ॥ अब ॥ ९॥ जब थी मुज दर्शन भया ॥ बाले ॥ तब थी तर से मन हो ॥ केस ॥ हिबे इच्छा पुरी करो ॥ बाले॥ पावन कीजे वदन हो ॥ केस॥ || अब ॥१०॥ इत्यादी सुणी मदन जी॥ श्रोता जन ॥ चिंते ऊंडो अपार हो ॥ विवेकी लाल ॥ ए निश्चय था रागणी ॥ श्रोता ॥ ताण्यामें नहीं सार हो ॥ विवेकी लाल ॥ | अब ॥ ११॥ इच्छित लक्ष्मी आमिली ॥श्रोता । अबतो किम ठेलाय हो ॥ विवेकी ॥ईकारो || तदा भो ॥ श्रोता ॥ तब कुँवरी हर्षाय हो ॥ विवेकी ॥ अब ॥१२॥ मित्राणी की है हसाख थी। श्रोता ॥ करार किया आप समाय हो ॥ विवेकी ॥ वरमाल मदन कंठे ठवी॥ श्रोता ॥ मदन मुद्रा पहराय हो ॥ विवेकी ॥ अब ॥ १३ ॥ इणविध लग्न समाचरी । श्रोता ॥ तिहां रह्या दोय जामहो ॥ विवेकी ॥ कौल कर्यो काल आवस्यूं ॥ श्रोता॥ गरुड सजायो जाम हो ॥ विवेकी ॥ अब ॥ १४ ॥ होश्यारी से रहजो तुमे ॥ श्रोता ॥ बात रखे प्रगटाय हो ॥ विवेकी ॥ अवसर उचित करस्यां सही ॥ श्रोता ॥ इणपरे मदन चेताय हो॥ विवेकी । अब ॥ १५॥ रंभा कहे कर जोडने ॥ बाले ॥ मुज आपनो आधार हो । १६
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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