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________________ म.श्रे. १२१ लो ॥ प्रेमाश्रुत पगे शीस नमाता । वसुपत हृदय लगातारे लो | आज ॥ ११ ॥ पूत सपूत जोइ सह सुख पावे । तो मावित्रनो किस्यो कहवावेरे लो || फिर तीनों भाइने आइ नमिया | द्रढालिंगन मिलावेरे लो || आज ॥ १२ ॥ मदन सज्जन सुख तस मन जाणे । के जाणे जिनराया रे लो || विछी विछायत तिहां विराज्या । जोवत हर्षे उमायारे हो | आज ॥ १३ ॥ हर्षानंदकी बटे बधाइ । कुशल वारता कराइरे सो ॥ शुभ मुहूर्त पुनः सजी सजाइ । चाल्या ग्रामके मांइरे लो || आज ॥ १४ ॥ मदन नरपति एक गज सोभे । तेज प्रतापे अरी क्षोभेरे लो !! और थयायोग्य वाहना रुढ भया । देखता मन लोभायारे लो || आज ॥ १५ ॥ मध्य बजारे चली सवारी । जोवे उमद नर नारीरे लो || मदन कुँवर पर जाव वारी । ए कोई नर अवतारीरे लो ॥ आज ॥ १६ ॥ रायभवनमें आइ उतरिया नृपने नमन करियारे लो ॥ रजा लेइ वसुपत घर आया । राज रूढीने अनुसरीयारे लो || आज ॥ १७ ॥ माताजीनें पाये लागा । जोताइ सह दुःख भागारे लो || चिरायु सुखी नग जिम स्थिर रहो । आसीस दिया पुण्य जागारे लो || आज ॥ १८ ॥ और सह सज्जनने सन्मान्या । कीधा सहना मन मान्यारे लो || पुण्यवंत किणने नहीं अपमाने । तेहीने जग पेछान्यारे लो || आज ॥ १९ ॥ शैन्य सहू सुख स्थान जमाह । तिहांइ रह्या सुख मांइरे | लो || सह सज्जन को मिल्यो समागम । नित्यानंद वरताहरे लो || आज ॥ २० ॥ पुण्य ******* खण्ड ६ १२१
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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