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________________ मन हर्षाया । इष्टार्थ सिद्ध थायारे लो || आज ॥ १ ॥ फिरी सचिव आया सभा मांही ॥ हर्षी वीतक चेतारे लो || वसुपति शाहा का कुँवर मदनजी । पुर वाहिर आ रह्याइरे लो ॥ आज ॥ २ ॥ राजा चार तस हुकमके मांइ । ऋद्धि अपार देखाइरे लो || मिलवा आया निज परिवारने । अवर विचार न कांहरे लो || आज || ३ || सुणी राजेश्वर घणा हर्षाया । वसुपत परिवारे बुलायारे लो || कहे थांरा चौथा नंदन आया । मदन जग प्रगदाधारे लो | ॥ अ ॥ ४ ॥ बात सचिव जी सब जगाइ । ऋद्धि घणी लायाइरे लो || कहे पुरपति अति आणंद पाह । मिलण मन उमंगाइरे लो || आज || ५ || राजेश्वर तब फोज सजाइ । ग्रामे खबर पसराइरे लो || सुणी सह अति आश्चर्य पाइ । वसुपति निज घर आइरे लो || आज ॥ ६ ॥ चाल्या नर वर वाजत भेरी । वसुपतिजीने संगलेरीरे लो || और प्रजा संग हुइ घरी । आया ग्राम बाहिर फेरीरे लो || आज ॥ ७ ॥ मदन नफर देखी शैन्या आती । हर्ष नाद उभरा तीरे लो ॥ तत्क्षण जाइ कह्यो मदनने । श्वामी शैन्य आती जणातीरे लो आज ॥ ८ ॥ मदनजी जोइ घणा हर्षाया । निज दल सज करायारे लो । पयदल पुरपति सन्मुख आया । हते तो प्रधान देखायारलो || आज ॥ ९ ॥ नेणानेन मिल्या अमीरस ठरीया । प्रेमधी हीया भरीयारेलो || लुली २ मदन जी गुजरा करिया । रायजी नमी कर धरियारे लो || आज ॥ १० ॥ सुख समाधिनी पूंछी बातां । फिर तात ढिंग मदन आतारे
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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