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चौकस वे दावे । खबर देवो वेगी मुज आइ । आया ए किण कावे ॥ पुण्य ॥ १६ ॥ चतुर्घट रथारूढ होइ । भट प्रभाव सोहावे ॥ आया मदन शैन्यने पासे । देखी मन घेसावे ॥
खंड ६ पुण्य ॥ १७ ॥ राज वर्गी नर आतो देखी । मदन शैन्य रक्ष धावे ॥ कर जोडी कहे मदन १ कपटसे राय थी। कोइक सामंत आवे ॥ पुण्य ॥ १८॥ मदनजी तत्क्षण वाहिर आया । जेष्टना चिन्ह देखाचे ॥ तेतले तो रथ आयो नेडो । मदन सलामी करावे | पुण्य ॥ १९॥ रथ तजी प्रधानजी नभिया । मदनजी कर धरावे ॥ ले आया निज डेरा माही । उच्चासन पधरावे ॥ | पुण्य ॥ २० ॥ किवो सत्कार सन्मान घणेरो । सचिव मन हर्षोवे ॥ ढाल सोलमी कही २९ अमोलख । छट्टे खन्ड सोहावे ॥ पुण्य ॥ २१॥ ॥ दोहा ॥ नभ्र होह सचिव जी । पूंछे ||
बेकर जोड || आप किहांका भूपति । इहां आया किण कोड ॥१॥ मदन कहे नरमायनें। हूं नहीं छं राजन ।। हूं तो इहांको वाणियो । आयो मिलण सजन ॥२॥ कुण सज्जन | इहां आपका । प्रकाशों तस नाम ॥ मदन कहे वसुपतजी । अजुद्या , तस गाम ॥३॥ चौथो पुत्र हूं ते मनो । मदन न्हारो नाम ॥ आयो छु मिलवा भणी । अवर नहीं को काम ॥ ४ ॥ सुणी सचिव अचंभिया । अहो २ नरना पुण्य ॥ महीदाकाशं गती सही २ पृथवी प्रत्यक्ष ए न नुन्य ॥ ५॥ * ॥ ढाल १७ मी ॥ आज आनंद धन जोगीश्वर आया ॥ यह ॥ ! और आकाश आज आनंद दिन मदन जी आया । रिद्धी सिद्धी ए शोभायारे लो ॥ सज्जन जनका
| जितनी