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म.श्रे.
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थें जीवतो राख्यो तेहनेरे । तेहनो थयो शत्रूरूपरे ॥ मांगे छे कन्या माहरीरे । तेतो पडी मरी कूपरे ॥ उ ॥ ५ ॥ हिवे किहां थी आपीयेरे । लडाइ किम करायरे ॥ इण संकट में मै पड्योरे । कीजिये कैसो उपायरे ॥ उ । ६ । किम जीवतो छोड्यो तेहनेरे ! किसी खाइयें। लांचरे ॥ पाप प्रगट्या अब थायरारे । कहे जिम होवे तिम सांचरे ॥ उ ॥ ७ ॥ इत्यादी कोटवालनेरे नृप किया बचन करूररे ॥ साचा मनमें जाणियांरे । सोच पडयो भरपूररे ॥ उ ॥ ८ ॥ चिंते ऊंडो मन विषेरे । किम कियो इण अन्यायरे ॥ बचन दियो थो मुज भणीरे । पाछोन आस्यूं इण ठायरे ॥ उ ॥ ९ ॥ धर्म ठगाइ इण करीरे । दिसतो थो गुणवंतरे ॥ मरणो मुजने दोनो पखेरे। तो पण कहाडू तंतरे ॥ उ ॥ १० ॥ नरमाह कहे भूपधीरे | गुन्हो कीजिये माफरे । कीधी भूलमें मोटकीरे । परकास्यों सह साफरे ॥ उ. ॥ ११ ॥ हूं ले जातो मारवारे । विच मिलिया मुनीरायरे ॥ उपदेश देइ छुडावियोरे | श्रावक करी तिण ठायरे ॥ उ ॥ १२ ॥ बचन बदल इहां आवियोरे । हूं जावू तिणरे पासरे ॥ समजाइने आवस्यूंरे । मानो इत्ती आरदासरे ॥ उ ॥ १३ ॥ राय कहे होतब हुयोरे । हिवे पण कीजे उपाय || समाधान होवे तो भलोरे । नहीं तो फिर देखी जायरे ॥ उ ॥ १४ ॥ हुकम सीस चडायनेरे । तेंहीज दूत ने साथरे ॥ मदन भेटवा चालियारे । किम भयो एनर नाथ रे ॥ उ || १५ || दल प्रबल घणो पेखियोरे । पूछी सह दूत थी वातरे ॥ मदन पक्षे घा
खण्ड
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