________________
1
माविया । पार करी पधारो तिण ठाम तो॥ दूत आयो मदन कने । पीतक पात कीवी || तमाम तो॥ ए॥ २०॥ इसिया मदन कयो नार ने ॥ ते कहे साचो तास विचार तो॥ अमोल बाल पारमी कही। मदन कहे हिवे करूं उपचार तो ॥५॥२१॥७॥ दोहा ॥ पुनरपि सज कियो दूतने । कहे खुल्ला समाचार ॥ तुम भूलो पुत्री रखण। हम नहीं भूल्या लगार ॥१॥रंभा मंजरी पुत्री तुम ॥ परण्या रात जेह ॥ मदनतेहपेछाणिये। आया लेवा तेह॥२॥सख संम्पपीसोंपिये। तो तुम रहसी मान॥ नहीं तो सज हो आइये । रणमां करां संग्राम ॥२॥ सीस चाह पचन ते । दूत गयो फिर चाल ॥ मदन कह्या तिमही सहू। हाल कशा पाला॥चकित हुइ सारी सभा । मुणियां दूत पचन ॥ पात संभारी पाछली। खिन थयो तब मन ॥ ५ ॥ ॥ हाल १३ मी ॥
श्री जिनवर गणधर मुनीवरने कहेरे ॥ यह ॥ उपकार गुणवंतां मुले नहीरे ॥ ॥ फेडे , 1 जब अक्सर मायरे ॥ दोनोरे भवे सुख ते लहेरे । सगुणाने येही मुहायरे ॥ १॥ * णी पचन हम दूतकारे । कोपातुर हुया भूपालरे ॥ बुलावो दुष्ट तलपर मणीरे । निमक
| हरामी डालरे । उ ॥२॥ भट सट लाया कोतवाउनेरे। रोसे बचन कहे परे ॥ तूं में में अपराधी माहेरोरे । भाखी जे साच स्वरूपरे । उ ॥३॥ जिण मुज पुत्री भृष्ठ करीरे।
ते चोर मारण काजरे ॥ मै दियो यो एक दिन तुजेरे । ते होइ बायो राजरे ॥ उ ॥ ४ ॥
常常识