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म. श्रे.
में ने इहां तणी । सज हुई शैन्य हुकम हुयां नाथ तो ॥ ए॥१०॥ आया खाती खातण में
कने । प्रणमी कहे हूं जावूडू देशतो। आप रहजो इहां सुखमें । पाछो आस्यूं काम * हुयां असेस तो ॥ ए ॥ ११॥ इमं सहूने संतोषने । तैयारी करी मदन तत्क्षण तो ॥ रंभा मंज्जरी साथे ग्रही । और सहु जमायो सरतन तो ॥ ए॥१२॥ शुभ मुहूर्ते चालिया। राजा प्रजा घणा पहोंचावा जाय तो॥ दर्शन वेगा दीजिये। सीम लगण पहोंचाइ फिर आय तो॥ए ॥ १३ ॥ सुखे मुकाम करता थका । मदनजी आया महेन्द्र | पुर पास तो ॥ साता कारी स्थानके । सहू रह्या कार्य युक्ती विमास तो ॥ ए ॥ १४॥ | दूत बलिष्ट कला निपुण । सजवाइ कहे जावो भूप पास तो ॥ कहजो जमाइ161
आविया । मदन नरेश बधावो सू आस तो॥ ए ॥ १५ ॥ दूत अत साजे सजी । चाल्यो । होह मध्य वजार तो। लोक देखी विस्मित हुया । ए किण का सुभट आयो जुजार तो॥ |ए ॥ १६ ॥ राज सभा नृप सन्मुखे । नमी कहे जय विजय बघाय तो॥ मदन नरेश्वर | आविया । जे आपका जवाइ कहवाय तो ॥ ए॥ १७ ॥ अति आश्चर्य पाया राज वी ।
पुत्री बिना किम जवाह होय तो ॥ एकुण किहांथी आविया ॥ भूली गया परण्यो | व ठिकाणोय तो॥५॥१८॥ दूत थी कहे जाइ कहो । इहां नहीं हुयो आपको व्यावतो ,
पुत्री नहीं कोई माहेरे ॥ विना कारण किम जगे उत्साहव तो ॥ ९ ॥ १९॥ मूलीने भूप