SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ KOTONS रजियोरे । तलवर आश्चर्य पातरे ॥ उ ॥ १६ ॥ अहो २ पुण्य एक नर तणारे । प्रगटता कीसी वाररे ॥ राहीज एकदा मुज करेरे ॥ थह चड्यो निराधाररे ॥ उ ॥ १७ ॥ फोजकी हद्दके बाहीरेरे । तलवर उभो राखरे ॥ रजा लेह लेइ जावस्यूरे । दृत्त जा मदनने भाखरे ॥ उ ॥ १८ ॥ श्वामी समाचार केववारे । आया कोतवाल लाररे ॥ हद्द बाहिर उभा कर्यारे । कहो तो लावू इण वाररे ॥ उ ।। १९ ।। मदन दौडी सामे आवियारे । लुली २ लाग्या पायरे । जीवित दान दाता तुमेरे ॥ दर्श हर्ष उपजायरे ॥ उ ॥ २० ॥ कोटवाल पावां लगेरे । | मदन लागण नहीं देयरे । सुख स्थान जाइ बैठियारे । अमोल तेरे ढाल केयरे ॥ उ ॥ २१ ॥ * ॥ दोहा ॥ नरमाइ कोतबाल कहे । आप महापुण्यवंत ॥ किंचित गुण बहुकर लख्यो | तिण थी हुवा महंत ॥ १ ॥ माठो नहीं लगाडियो । पण प्रकास्युं गुज ॥ बचन न पाल्यो रंच तुम ॥ एही आश्चर्य मुज ॥ २ ॥ ना कही इहां आवण तणी । पधारी छेडया राज ॥ आपतो दोइ समर्थ छो । म्हारो बिचे अकाज || ३ || राणी मांगी आप की । ते किणविध अपाय || मर्या न होवे जीवता । कीजे क्रोड उपाय ॥ ४ ॥ सरणे आयो आपके । लज्जा राखो मोय || आप कहो सोही करूं । अण हूं तो न होय ॥ ५ ॥ * ॥ ढाल १४ मी ॥ तूं तो साची श्राविका ॥ यह ॥ भय नहीं उत्तम मित्र थी । कुशल न दुष्ट थी होय हो । साजन ॥ परिक्षा होवे इण तणी । जे वक्ते बल जोय हो ॥ साजन ॥ भ ॥ १ ॥
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy