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________________ म.श्रे. १०३ | बण आवो ॥ लाया उडाइ अबला तांइ । करीने खोटो कावोरे सा ॥ औ ॥ ११ ॥ जोइ | राते कपट पेछाप्यो । हूं भोली समज्यूं कांइ । नहीं निश्चयथी तुम छो मूर्ख | म्हारी पूरी | मूर्खाहरे सा ॥ औ ॥ १२ भेली रहीमें काल एतलो । परख्या नहीं लगारो ॥ काम | केइ थां कीना भारी । हूं तो पूरी गिंवारोरे सा ॥ औ ॥ १३ ॥ मूर्ख २ कही बोलाया । | ऐंठा भोजन खवाया || कांण मर्याद जरा नहीं राखी । नौकर सम लेखाय ॥ रेसा ॥ औ ॥ १४ ॥ क्षमो २ अपराध सौ म्हारो । सहू गुनो माफ कीजे । मुज ओगणकी शिक्षा में पाइ || अबे जरा दयालीजेरे ॥ सा ॥ औ ॥ १५ ॥ इम कहती रोती पडी पगमें । मदनजी उचकी बैठाइ ॥ इम किम करो तुम शाणी होइ । तुमथी किसी जुदाइरे ॥ सा ॥ औ ॥ | १६ | दुःख देवण ने हूं नहीं लायो । दुःख नहीं दियो तुम तांइ ॥ हुकम प्रमाणे आज लग रहियो । और करूं कहो कांइरे ॥ सा ॥ औ ॥ १७ ॥ आपणो आपो हूं किम दाखूं । | तेहथी ए चरित्र बणायो | आजपिछाण्यो तोही हूं थाणो । करो जे तुम मन चायेोरे ॥ | सा ॥ औ ॥ १८ ॥ सुंदरी कह जो कृपा आपकी । तो पहली परणो मुज तांइ ॥ रूपसुन्दरी | मोटी न होवे । पहली हूं घर आइरे ॥ सा ॥ औ ॥ १९ ॥ मदन कहे मत करो उतावल । हूं नहीं राज कुँवारो || वाणिकने घर सह छे सरखी । कुण छोटी मोटी नारोरे ॥ सा ॥ औ ॥ २० ॥ तिथी धैर्य धरो मन मांइ । तुम तात सन्मुख जाइ ॥ तुमने हूं परणं स्यूं | १०३
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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