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| निश्चय । इम सुण ते शरमाइरे ॥ सा ॥ औ॥ २१ ॥ मुज पीयर मुजथी न जवाय । जो म मृत्यू महारी थाय ॥ ऐसी उदारी बातां सुणने । कालजडो चीरायरे ॥ सा ॥ औ॥ २२ ॥
मदन कहे ऐसी युक्ती जमास्युं । जिम जरा नहीं होवे हाँस्युं ॥ अपणा मनोरथ सह सिद्ध |
थासी । पहला सी कहुं था स्युरे ॥सा ॥ औ ॥ २३ ॥ इत्यादी वयणे समजाइ । खुशी 2 करी तिण तांड ॥ विनोद बाते आणंद साथे । सुखे रहे तिण ठाइरे ॥ ॥ सा ॥ औ॥ २४ ॥ में अजव कलावंत मदन कुँवर ए । सीसी उपाय यह करसी.॥ ढाल चतुर्थी छद्दा खंडकी। | अमोल सुगुण उचरीसीरे ॥ सा ॥ औ ॥ २५ ॥ ॥ दोहा ॥ पचेंद्री सुख भोगवे । सुखे ,
रहे तिण ठाय ॥ जाणी गुणौघ मदन ने । गुणसुंदरी हर्षाय ॥१॥ चटपटी लागी चितमें। ९ कब मिलसी संयोग ॥ किसी करामाते करी । मिलासी मावित्र जोग ॥२॥ वारम्बार में अर्जी करे । हिवे शीघ्र करो काम ॥ जे करवो छ आपने । मन नहीं रहे वे ठाम ॥३॥ विनय भक्ती नित्य कर । सफल गिणे अवतार ॥ दुःख सहू भूली गइ । देखी गुणी भरतार
॥४॥ दास्या मुखथी सांभल्या । मदन जरूरी गुण ॥ बड भागी पति जाणियों । सकल & कला ए निपुण ॥ ५॥ ॥ ढाल ५ मी ॥ साधूजीने बंदणा नित प्रति कीजे ॥ यह ॥ मदन - कुंदर जावण सज होवे । राजाजी पासे आवेजी ॥ प्रेमे नमी विचार दरशावे । निज
देश जावा चित चावेजी ॥ म॥१॥ इम सुणी राजाजी फरमावे । जावण चित किम