SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ # मिलवाको कह गयो । इण लगाया छे मांस । ते सव करामात एहनी छ । आज पड्यो म.श्रे. खण्ड६ | प्रकाश ॥ आं॥ १८ ॥ मुज पहिले ग्रह तेहने । तेथी मोटी होसी ते नार ।। हाहा हिवे | किस्यूं करूं । इम करती अनेक विचार ॥ ७ ॥ १९ ॥ आर पडी निज सेजपे । तस | निद्रान आवे लगार ॥ मदनचरित्र संभारीने । एतो आश्चर्य करे अपार ॥ आं ॥२०॥ प्रभाते तो आवसी । तब करस्यूं पूरो फजीत ॥ क्षण २ उठने जोवती । निशा पूरी होवे || विकिण रीत ॥ आं ॥ २१ ॥ हिवे वरात मदन तणी जी । पहोंची तोरण जाय ॥ सासू बधाइ मांये लिया । और कीधा सहू उपाय ॥ आं ॥ २२॥ आरण कारण सांचवी ।* दीवी दंपती जोड मिलाय ।। अमोल ढाल तीजी कही । जोवो पुण्य तणा पसाय ॥ ७ ॥ २३ ॥ 8 ॥ दोहा ॥ कन्यादान तणे विषे । दीधो आधो राज ॥ हय गय रथ पायक सही । राजके युक्तो साज ॥ १ ॥ संतोष्या सहू लोकने । योग्य करी सत्कार ॥ दंपति आया मेहलमें । हिये उभरा ते प्यार ॥२॥ आनंदे निशी अतिक्रमी । प्रगटि। या दिनकार ॥ वंदीजन वरुदावली । सुणीने जाग्या कुँवार ॥ ३ ॥ जाचक में संतोषि या। कीधो जन व्यवहार । शुची हुई भोजन करी । करी मदन विचार ॥ ४॥ राते जोयो मुज भणी । किस्यो उपज्यो तस मन ॥ हिवे मजा मिलिये जह । इम करी| चिंतन ॥ ५॥ * ॥ ढाल ४ थी ॥ औलंभे मत खीजो ॥ यह ॥ औलंभो खरो दीजेरे भी रथ // १०२
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy