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________________ BYAARYAANABARABANKBANKA ॥ धन्य ॥ १० ॥ सहेल्या घेरी बाइने आइ ॥ मधुर बचने बतलायजी । सज्जन मेले हर्षी | | होइ । गत दुःख दूर करायजी ॥ धन्य ॥ ११॥ शुभ मुहूर्त जोवायो नरपति । सहू सजाइ सजाय जी ॥ एकण मयंगल मदनने भूपत । बैठा आणंद मांय जी ॥ धन्य ॥ १२॥ मध्य | बजारे होइने चाल्या । देखण प्रजा उमाय जी ॥ मार्ग हाट हवेली चांदणी । नर नारी थी| भराय जी ॥ धन्य ॥ १३ ॥ मदन तणा गुण सहूजन गावे । शावास नरवर बीरजी । महाबिकट काम कैसो उठायो । ते सोही पहोंचायो तीर जी ॥ धन्य ॥ १४ ॥ उतर्या आह राजसभामें। सिंहासणे बैठा रायजी ॥ मदन ने खेची पास बैठायो। अरी गया शरमाया RE जी ॥ धन्य ॥ १५ ॥ सहू सभा ठाम ठिकाणे बैठी । महिला पडदा मांयजी भद्रसेण ऊभो. होइ बोले । सुणो सहू चित लायजी ॥ धन्य ॥ १६॥ आश्चर्य वीतक जवैरीजीको । जे यो षट मास मायजी ॥ सुणवा जैसी बात हे साहेब । तिणथी कहवा चायजी ॥ धन्य ॥ १७॥ सहू श्रवण करे एकाग्रताथी । जोगी विद्याप्रभाव जी ॥ उडा लेगयो रूपवतीने । C गुफामें राखी छिपायजी ॥ धन्य ॥ १८ ॥ मदनजी बीडो ग्रह्यो जारे । मैं गयो आगे भाग | जी॥ चेंट्यो सिल्लाने तोतो बणायो । मदनजी आया में थागजी ॥ धन्य ॥ १९॥ सुणी यक्ती कही जबैरीने । ते गया आगे चालजी ॥ देव समजाइ पुरवसाया। राजा हयाम परण्या नारजी ॥ धन्य ॥ २० ॥ बडने चेंटी उडगया दूरा । मरतो मनुष्या छोडायजी ।
SR No.600299
Book TitleMadan Shreshthi Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherSukhlal Dagduram Vakhari
Publication Year1942
Total Pages304
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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